JMD NEWS पर मिलेंगे पद्मेशजी प्रत्येक रविवार को 2-3 बजे तक |
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जन्म तिथि, जन्म समय, जन्म स्थान आप भेजें, साथ में *2500 /- रूपए और पाएं फ़ोन पर ही अपनी समस्या का समाधान प्रति दिन सायं 5:00 बजे से 8:00 बजे के मध्य |
* रूपए ऑनलाइन, सवयं या किसी के द्वारा भिजवा सकते हैं | अधिक जानकारी के लिये फ़ोन +91-9935000023 पर संपर्क करें |
Office:
8/226, SGM Plaza,
Arya Nagar Crossing,
Kanpur -208002,
UP-INDIA
Residence:
Nakshatrika, 18,
Ratan Lal Nagar,
Kanpur - 208022,
UP-India
ज्योतिष परामर्श ₹ 2500/-
जन्म पत्रिका एवम् दो वर्ष फलादेश: ₹ 5000/-
Contact No :
Office: +91-9935000023 (Noon 12:00 - Eve. 8:00),
E-mail :
padmeshji.knp2019@gmail.com
पंडित के0 ए0 दुबे पद्मेश का जन्म 13 अगस्त 1946 को एक संस्कारी ब्राहा्रण परिवार में हुआ था। इनके पिता संस्कारी समाजसेवी थे जिनका नाम पंडित दुर्गाप्रसाद दुबे। पंडित जी अपनी माता पिता की आठवी संतान हैं। 13 वर्ष की आयु में पंडित दुर्गाप्रसाद दुबे का निधन हो गया। उसी वर्ष बड़े भाई राम अवतार का भी निधन हुआ। हमेशा हमेशा के लिए ग्राम रोहणी छूट गया। अपनी माता चमेली देवी के साथ कानपुर आ गये। संघर्ष और अभाव में जीवन यात्रा प्रारम्भ हुई। पंडित जी की रूचि सांसारिक कार्यो में नहीं थी। एक ऐसे गुरू की तलाश में भटकते रहे जो उन्हें तराश दें। आखिरकार 16 वर्ष की आयु में वह गुरू मिल ही गया जिसने कृष्ण अवतार दुबे से के0 ए0 दुबे पद्मेश बना दिया। और यह युवा एक सन्यासी बन गया।
सम्पूर्ण देश की अपने गुरू के कहने पर यात्राएं की और कोई ऐसा धाम नहीं छूटा जो सिद्ध रहा हो। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, जगन्नाथ पुरी, द्वारिका, रामेश्वरम, कन्याकुमारी 16 से 18 वर्ष की आयु में नर्मदा की परिक्रमा की। विरक्त लेकिन ऊर्जावान स्थित में अनेक धर्म गुरूओं संयासियों की कृपा प्राप्त करते रहे। मॉ के आग्रह पर 23 वर्ष की आयु में पुष्पा दुबे के साथ पाणिग्रहण संस्कार में बॅध गए और एक सन्यासी की गृहस्थ जीवन यात्रा प्रारम्भ हुयी। लेकिन मन आज भी संयासी है।
दो पुत्रियॉ एवं दो पुत्रों के साथ भौतिक जीवन जीने लगे और एक निवास नक्षत्रिका 18 रतनलाल नगर परिवार के लिए बनाया। पिता के नाम से दुर्गाप्रसाद विद्यानिकेतन गुजैनी कानपुर में सी0बी0एस0ई0 पब्लिक स्कूल बनाया जिसे सिद्धार्थ दुबे और सौमित्र दुबे को सौप दिया। अब तक पत्नी पुष्पा दुबे के साथ चार बार भारत भ्रमण कर चुके हैं अनेक विदेश यात्राए भी की। सामाजिक कार्यो में रूचि लेते हुए पिछले 53 वर्षो से सनातन संस्कृति और ज्योतिष की सेवा कर रहे हैं। अनेक पुस्तके लिखकर समाज को ज्योतिष को एक नया स्वरूप दिया रेडियो विभिन्न न्यूज चैनलों व विभिन्न समाचारपत्र व पत्रिकाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति और ज्योतिष को आम व्यक्ति तक पहुॅचाया।
1970 से प्रत्येक गुरूवार को निः शुल्क परामर्श देते आ रहे हैं। 1970 से ही बेटियों की कुण्डलियॉ निः शुल्क बनाते आ रहे हैं जिनकी सख्ंया हजारों में नहीं लाखों में हो गयी है।
सम्पूर्ण देश में उन्होने 63 से ज्यादा राष्ट्रीय ज्योतिष महासम्मेलन किए कलकत्ता, गौहाटी, पुणे, देहरादून, कानपुर, दुर्ग, मुम्बई, भोपाल, इन्दौर, रतलाम, लखनऊ, इलाहाबाद, बरेली, दिल्ली, हरिद्वार आदि अनेक स्थानों पर राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन 6 हजार से अधिक संगोष्ठियॉ आयोजित की।
पंडित पद्मेश पर्यावरण के लिए भी समर्पित है। ग्रह शान्ति के लिए वृक्ष लगवाते हैं। एक दिन में एक लाख ग्यारह हजार से अधिक वृक्ष लगवाने का लिम्का बुक आफ द रिकार्ड 1992 का है। इन्वायरमेण्ट इण्डिया का है, जिसके संस्थापक अध्यक्ष हैं मानव मात्र के कल्याण के लिए 28 महीनों तक लगातार पर्यावरण पार्क, रतनलाल नगर, कानपुर में सवा पाचॅ करोड महामृत्युजंय का जप व यज्ञ कराया। आज भी वे एक समय ही भोजन करते हैं। और मानव मात्र के कल्याण के लिए वर्ष के 96 व्रत करते हैं।
आम जनता के लिए दैनिक जागरण में 40 वर्षो से भी अधिक दैनिक राशिफल दे रहे हैं ऐसे ही के0 न्यूज में प्रति रविवार दोपहर 1 बजे से ग्रह नक्षत्र और पद्मेश के माध्यम से आम जनता की समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। पद्मेश इंस्टीट्यूट आफ वैदिक सांइसेज 8/226, आर्यनगर, कानपुर में ज्योतिष, वास्तु, हस्तरेखा की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
मॉ चमेली देवी की स्मृति में - चमेली देवी ललित कला एकडेमी की स्थापना की।
पिता दुर्गाप्रसाद दुबे की स्मृति में - 1980 से हिन्दी में 25 हजार रूपये का एक तथा पॉच पुरूस्कार 5-5 हजार रूपये के "दुर्गाप्रसाद शिखर हिन्दी सम्मान" में प्रति वर्ष प्रदान करते आ रहे हैं। ।
पंडित पद्मेश का शेष जीवन भारतीय संस्कृति को समर्पित है |