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				Ethics of Padmesh Ji 
	  
				"समर्पण कभी निष्फल नहीं होता" 
				
				"ईश्वर की अनुभूति तभी संभव है जब आपका समर्पण उसके प्रति होगा । " 
				
				" जो व्यक्ति अपने प्रति ईमानदार नहीं है वह न तॊ ईश्वर के प्रति 
				और न ही दूसरों के प्रति ही ईमानदार हो सकता है । संकल्प की पहली 
				सीढी कि आप स्वयं अपने प्रति ईमानदार हों और उस ईमानदारी से लिया 
				गया संकल्प निश्चित रुप से पूर्ण होगा। " 
				
				" कितना पढा यह तो दावा नहीं कर सकता पर जब भी समय मिला केवल पढ्ने 
				का ही शौक रहा और उसी आधार पर अनुभव किये । समाज असे बहुत कुछ 
				प्राप्त किया, इसे मैं ईमानदारी से स्विकार करता हूं और यह वादा 
				करता हूं कि जो कुछ भी समाज से प्राप्त किया है वह समाज को ब्याज 
				सहित वापस करूंगा । यदि आप समाज को वापस नहीं करते तो कल समाज आपसे 
				छीनेगा । " 
				
				" व्यक्ति को किसी भी दशा एवं परिस्थिति में अपने आधार को नहीं 
				त्यागना चाहिये। "  |